When I was a young child, I was very selfish, always wanted the best for myself

When I was a young child, I was very selfish, always wanted the best for myself. Gradually, everyone left me and I had no friends. I did not feel that it was my fault and I used to criticize others.

My father taught me 3 things to help me in life.

One day, my father cooked 2 bowls of noodles, put 2 bowls on the table. One bowl had one egg on top and the other bowl had no egg on top.

He said, "My child." Which bowl do you want ”. It was hard to get eggs in those days! Eggs were found to be eaten only during festivals or the New Year.

Of course I took an egg bowl. As we started eating. I was congratulating myself on my wise choice / decision and bursting eggs.

I was surprised when my father ate his noodles, there were two eggs in his bowl under the noodles!

I regret so much! And was calling himself bad for being too hasty in his decision.

My father smilingly said to me, "My child. You must remember that what your eyes see is not necessarily true.

If you intend to take only from people, then only defeat and regret will come in your hands! "

The next day, my father again cooked 2 bowls of noodles: one egg in the same way in the top of the bowl and the other on top of which there was no egg.

Then, they put both bowls on the table and said to me, "My children, you choose, which bowl do you want?"

This time I showed my intelligence and chose a bowl with no eggs.

I was shocked, when I looked at the noodles apart, there was not a single egg in the bottom of the bowl!

Again my father smiled and said to me, "My child, you should not always rely on experiences because sometimes, in life you can be deceived by it.

But you should not be too angry or sad, just consider it as a lesson learned. You cannot learn it from textbooks.

On the third day, my father baked 2 bowls of noodles again, then one egg was on top and there was no egg on the other.

He placed both bowls on the table and again said to me, "My children, you choose, which bowl do you want?".

This time, I told my father, "Dad, you choose first." You are the head of the family and you also contribute the most to the family.

My father accepted this and opted for an egg bowl. As I was eating noodles in my bowl, I knew that there was no egg in my bowl.

But, I was very surprised that there were two eggs in the bottom of my bowl.

My father smiled sweetly in my eyes and said, "My children, you must remember, when you think for the good of others, it will always be well with you."

I always remember these 3 things of my father and take all my decisions accordingly. And this is why I am a successful person today.

Do tell this story to your children and if possible, you should also do the same test.




जब मैं एक छोटा बच्चा था, तो मैं बहुत स्वार्थी था, हमेशा अपने लिए सबसे अच्छा चाहता था। धीरे-धीरे, सभी ने मुझे छोड़ दिया और मेरे कोई दोस्त नहीं था। मुझे नहीं लगा कि यह मेरी गलती थी और मैं दूसरों की आलोचना ही करता रहता था।

मेरे पिता ने मुझे जीवन में मेरी मदद करने के लिए 3 चीज़े सिखाई।

एक दिन, मेरे पिता ने नूडल्स के 2 कटोरे पकाए, 2 कटोरे मेज पर रख दिए। एक कटोरी में ऊपर एक अंडा था और दूसरे कटोरे में ऊपर कोई अंडा नहीं था।

उन्होंने कहा “मेरा बच्चा। कौन सा कटोरा तुम चाहते हो ”। उन दिनों में अंडे मिलना मुश्किल था! केवल त्योहारों या नए साल के दौरान अंडे खाने के लिए मिलते थे।

बेशक मैंने अंडे वाली कटोरा लेली। जैसे हमने खाना शुरू किया। मैं अपनी बुद्धिमानी पसंद / निर्णय पर खुद को बधाई दे रहा था और अंडे को फोड़ रहा था।

मैं आश्चर्यचकित हो गया जब मेरे पिता ने अपने नूडल्स खाए, नूडल्स के नीचे उनके कटोरे में दो अंडे थे!

मुझे बहुत पछतावा हुआ! और अपने फैसले में बहुत जल्दबाजी करने के लिए खुद को बुरा भला कह रहा था।

मेरे पिता ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा, “मेरे बच्चे। आपको याद रखना चाहिए कि आपकी आँखें जो देखती हैं वह ज़रूरी नहीं की सच ही हो।

यदि आप लोगों से सिर्फ लेने का इरादा रखोगे, तो आपके हाथ में सिर्फ हार और पछतावा ही आएगा! "

अगले दिन, मेरे पिता ने फिर से नूडल्स के 2 कटोरे पकाए: एक कटोरा में उसी तरह ऊपर की तरफ एक अंडा और दूसरा कटोरा जिसके ऊपर कोई अंडा नहीं था।

फिर, उन्होंने दोनों कटोरे टेबल पर रखे और मुझसे कहा, "मेरे बच्चे, तुम चुनो, तुम्हें कौन सा कटोरा चाहिए?"

इस बार मैंने होशियारी दिखाईऔर मैंने बिना किसी अंडे वाली कटोरा को ही चुना।

मैं चौंका, जब मैंने नूडल्स को अलग करके देखा, तो कटोरे के निचले भाग में एक भी अंडा नहीं था!

फिर से मेरे पिता मुस्कुराए और मुझसे कहा, "मेरे बच्चे, आपको हमेशा अनुभवों पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि कभी-कभी, जीवन में आपको इससे धोखा भी हो सकता है।

लेकिन आपको बहुत गुस्सा या दुखी नहीं होना चाहिए, बस इसे एक सबक सीखने के रूप में मानें। आप इसे पाठ्यपुस्तकों से नहीं सीख सकते।

तीसरे दिन, मेरे पिता ने फिर से नूडल्स के 2 कटोरे पकाए, फिर एक कटोरी में ऊपर से अंडा और दूसरे कटोरे के ऊपर कोई अंडा नहीं था।

उन्होंने दोनों कटोरे टेबल पर रखे और फिर से मुझसे कहा, "मेरे बच्चे, तुम चुनो, तुम्हें कौन सा कटोरा चाहिए?"।

इस बार, मैंने अपने पिता से कहा, “पिताजी, आप पहले चुनें। आप परिवार के प्रमुख हैं और परिवार के लिए सबसे अधिक योगदान भी आप ही देते है।

मेरे पिता ने इस बात को मान लिया और अण्डे वाली कटोरा खाने के लिए चुनी। जैसा कि मैं अपने कटोरे में नूडल्स खा रहा था, तो मैं जानता था की मेरी कटोरी में कोई अण्डा नहीं है।

लेकिन, मैं बहुत आश्चर्यचकित हो गया मेरी कटोरे के नीचे दो अंडे थे।

मेरे पिता ने मेरी आँखों में प्यार से मुस्कुराते हुए कहा, "मेरे बच्चे, तुम्हें याद रखना चाहिए, जब तुम दूसरों की भलाई के लिए सोचते हो, तो हमेशा तुम्हारे साथ उससे अच्छा ही होगा।"

मैं हमेशा अपने पिता के इन 3 बातों को याद करता हूं 
और उसी के अनुसार अपने सारे निर्णय लेता हूँ। 
और यही कारण है की आज मैं एक सफल व्यक्ति हूँ।

यह कहानी अपने बच्चो को ज़रूर सुनाये और हो सके तो आप भी ऐसा ही परीक्षण करके देखे।


🙏🙏

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