Indian Youth Issues
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इस देश के 18 से 35 वर्ष के युवाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या क्या है? क्या कश्मीर? या राम मंदिर? या पाकिस्तान...?
या...उच्च शिक्षा में वंचित समुदाय के युवाओं के लिये घटते अवसर? रोजगार के घटते अवसर? अंध निजीकरण? श्रमिक अधिकारों पर लगातार हो रहे सुनियोजित हमले?
जाहिर है, सैद्धांतिक जवाब तो यही होगा कि शिक्षा और रोजगार युवाओं के लिये सबसे बड़ी समस्या हैं जो हाल के दिनों में और गम्भीर हुई हैं।
लेकिन...गौर करने वाली बात यह है कि इस देश की सरकार ही नहीं, स्वयं युवा वर्ग इन समस्याओं को लेकर कितने संवेदनशील हैं।
बीते एकाध महीने में कई मुद्दे सतह पर आए हैं। नई शिक्षा नीति का प्रस्तावित प्रारूप, नेशनल मेडिकल कमीशन बिल, तीन तलाक, रेलवे का निजीकरण, कश्मीर में धारा 370...आदि।
अपने आप में हर मुद्दा अहमियत रखता है। लेकिन, मायने यह रखता है कि किस मुद्दे पर लोगों की कैसी प्रतिक्रिया रही। किस मुद्दे पर बहस कोलाहल में बदल गया और किस मुद्दे की कोई खास चर्चा तक नहीं हुई?
सड़कों, चाय की दुकानों से लेकर सोशल मीडिया तक तीन तलाक पर जितनी बहसें हुईं, पाकिस्तान पर जितनी बातें होती हैं, अभी धारा 370 पर जितनी बहसें हो रही हैं, उनकी तुलना में नई शिक्षा नीति, नेशनल मेडिकल कमीशन, निजीकरण आदि पर कितनी बहसें हुईं?
अभी, जब लोग कश्मीर मुद्दे को लेकर इस तरह उछल रहे हैं जैसे कोई जीत मिली हो ठीक उसी वक्त सूचनाएं आ रही हैं कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में 3 लाख नौकरियां खत्म हो गई हैं, रेलवे के निजीकरण वाया निगमीकरण के विरोध में रेलवे कर्मचारियों के संगठन सड़कों पर उतर रहे हैं, नेशनल मेडिकल कमीशन बिल में ग्रामीण क्षत्रों को झोला छाप डॉक्टरों के भरोसे करने की बातें हो रही हैं, मेडिकल शिक्षा को निम्न आय वर्ग तो क्या, मध्य वर्ग के प्रतिभाशाली युवाओं से दूर किया जा रहा है।
लेकिन, जीवन से जुड़े मुद्दों की कहीं कोई खास चर्चा नहीं।
जब अपने कॅरिअर, अपने भविष्य को लेकर युवा ही संवेदनशील नहीं हैं तो व्यवस्था क्यों संवेदनशील हो? सत्ता के लिये युवा वर्ग ही सबसे बड़ी चुनौती होता है इसलिये इस वर्ग को दिग्भ्रमित बनाए रखने के लिये सत्ता-संरचना हर सम्भव कोशिश करती है।
अंध निजीकरण युवाओं के भविष्य पर सबसे बड़ा आघात है। उच्च शिक्षा का कारपोरेटीकरण निम्न आय वर्ग के युवाओं के भविष्य को अंधेरों में धकेल देगा, इकोनॉमिक स्लोडाउन के कारण नौकरियां तो खत्म हो ही रही हैं, नई नौकरियों का सृजन भी नहीं हो रहा। इस आर्थिक दुर्व्यवस्था का सबसे बड़ा शिकार युवा वर्ग ही है।
वास्तविकता यह है कि रोजगार के क्षेत्र में त्राहि-त्राहि मची हुई है।
लेकिन, आश्चर्य है कि इन मुद्दों को लेकर कहीं बहस नहीं, जबकि कोलाहल होना चाहिये था, आंदोलन होना चाहिये था।
👉🏻 फिलहाल, कश्मीर का झुनझुना है। पहले मंदिर झुनझुना था। ऐसे ही कई तरह के झुनझुने हैं। झुनझुने बदलते रहते हैं लेकिन उनकी आवाज वैसी ही रहती है। ऐसी आवाज...जिसमें अजीब सा नशा है। ऐसा नशा...जिसमें न अपना जीवन सूझता है, न अपना भविष्य सूझता है, न बाल बच्चों का भविष्य सूझता है।
इन संदर्भों में हम बीते सौ वर्षों की सबसे अभिशप्त पीढ़ी हैं...जो अपने बाप-दादों के अथक संघर्षों और बलिदानों से अर्जित अधिकार तो गंवाते जा ही रहे हैं, अपने बच्चों के लिये भी अंधेरों का साम्राज्य रच रहे हैं।
प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक नम्बरों की जानकारी!!!
यह सब टोल फ्री नंबर हैं।
_________
पुलिस सेवा ------ 100
अग्नि सेवा ------ 101
एम्बुलेंस सेवा ------ 102
ट्रैफिक पुलिस ----- 103
आपदा प्रबंधन ------ 108
AIO इमरजेंसी नंबर ---112
रेलवे पूछताछ ------ 139
वीमेन हेल्पलाइन ---- 181
भ्रष्टाचार विरोधी---- 1031
हाईवे हेल्पलाइन -- 1033
रेल दुर्घटना ------- 1072
सड़क दुर्घटना ----- 1073
CM हेल्पलाइन ----- 1076
वीमेन पावर लाइन -- 1090
महिला हेल्पलाइन --1091
पृथ्वी भूकंप ------ 1092
AIDS हेल्पलाइन --- 1097
चिल्ड्रेन हेल्पलाइन - 1098
किसान काल सेन्टर-1551
नागरिक काल सेन्टर 155300
ब्लड बैंक - 9480044444
कृपया सभी ग्रुप में भेजें।
धन्यवाद
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इस देश के 18 से 35 वर्ष के युवाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या क्या है? क्या कश्मीर? या राम मंदिर? या पाकिस्तान...?
या...उच्च शिक्षा में वंचित समुदाय के युवाओं के लिये घटते अवसर? रोजगार के घटते अवसर? अंध निजीकरण? श्रमिक अधिकारों पर लगातार हो रहे सुनियोजित हमले?
जाहिर है, सैद्धांतिक जवाब तो यही होगा कि शिक्षा और रोजगार युवाओं के लिये सबसे बड़ी समस्या हैं जो हाल के दिनों में और गम्भीर हुई हैं।
लेकिन...गौर करने वाली बात यह है कि इस देश की सरकार ही नहीं, स्वयं युवा वर्ग इन समस्याओं को लेकर कितने संवेदनशील हैं।
बीते एकाध महीने में कई मुद्दे सतह पर आए हैं। नई शिक्षा नीति का प्रस्तावित प्रारूप, नेशनल मेडिकल कमीशन बिल, तीन तलाक, रेलवे का निजीकरण, कश्मीर में धारा 370...आदि।
अपने आप में हर मुद्दा अहमियत रखता है। लेकिन, मायने यह रखता है कि किस मुद्दे पर लोगों की कैसी प्रतिक्रिया रही। किस मुद्दे पर बहस कोलाहल में बदल गया और किस मुद्दे की कोई खास चर्चा तक नहीं हुई?
सड़कों, चाय की दुकानों से लेकर सोशल मीडिया तक तीन तलाक पर जितनी बहसें हुईं, पाकिस्तान पर जितनी बातें होती हैं, अभी धारा 370 पर जितनी बहसें हो रही हैं, उनकी तुलना में नई शिक्षा नीति, नेशनल मेडिकल कमीशन, निजीकरण आदि पर कितनी बहसें हुईं?
अभी, जब लोग कश्मीर मुद्दे को लेकर इस तरह उछल रहे हैं जैसे कोई जीत मिली हो ठीक उसी वक्त सूचनाएं आ रही हैं कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में 3 लाख नौकरियां खत्म हो गई हैं, रेलवे के निजीकरण वाया निगमीकरण के विरोध में रेलवे कर्मचारियों के संगठन सड़कों पर उतर रहे हैं, नेशनल मेडिकल कमीशन बिल में ग्रामीण क्षत्रों को झोला छाप डॉक्टरों के भरोसे करने की बातें हो रही हैं, मेडिकल शिक्षा को निम्न आय वर्ग तो क्या, मध्य वर्ग के प्रतिभाशाली युवाओं से दूर किया जा रहा है।
लेकिन, जीवन से जुड़े मुद्दों की कहीं कोई खास चर्चा नहीं।
जब अपने कॅरिअर, अपने भविष्य को लेकर युवा ही संवेदनशील नहीं हैं तो व्यवस्था क्यों संवेदनशील हो? सत्ता के लिये युवा वर्ग ही सबसे बड़ी चुनौती होता है इसलिये इस वर्ग को दिग्भ्रमित बनाए रखने के लिये सत्ता-संरचना हर सम्भव कोशिश करती है।
अंध निजीकरण युवाओं के भविष्य पर सबसे बड़ा आघात है। उच्च शिक्षा का कारपोरेटीकरण निम्न आय वर्ग के युवाओं के भविष्य को अंधेरों में धकेल देगा, इकोनॉमिक स्लोडाउन के कारण नौकरियां तो खत्म हो ही रही हैं, नई नौकरियों का सृजन भी नहीं हो रहा। इस आर्थिक दुर्व्यवस्था का सबसे बड़ा शिकार युवा वर्ग ही है।
वास्तविकता यह है कि रोजगार के क्षेत्र में त्राहि-त्राहि मची हुई है।
लेकिन, आश्चर्य है कि इन मुद्दों को लेकर कहीं बहस नहीं, जबकि कोलाहल होना चाहिये था, आंदोलन होना चाहिये था।
👉🏻 फिलहाल, कश्मीर का झुनझुना है। पहले मंदिर झुनझुना था। ऐसे ही कई तरह के झुनझुने हैं। झुनझुने बदलते रहते हैं लेकिन उनकी आवाज वैसी ही रहती है। ऐसी आवाज...जिसमें अजीब सा नशा है। ऐसा नशा...जिसमें न अपना जीवन सूझता है, न अपना भविष्य सूझता है, न बाल बच्चों का भविष्य सूझता है।
इन संदर्भों में हम बीते सौ वर्षों की सबसे अभिशप्त पीढ़ी हैं...जो अपने बाप-दादों के अथक संघर्षों और बलिदानों से अर्जित अधिकार तो गंवाते जा ही रहे हैं, अपने बच्चों के लिये भी अंधेरों का साम्राज्य रच रहे हैं।
प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक नम्बरों की जानकारी!!!
यह सब टोल फ्री नंबर हैं।
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पुलिस सेवा ------ 100
अग्नि सेवा ------ 101
एम्बुलेंस सेवा ------ 102
ट्रैफिक पुलिस ----- 103
आपदा प्रबंधन ------ 108
AIO इमरजेंसी नंबर ---112
रेलवे पूछताछ ------ 139
वीमेन हेल्पलाइन ---- 181
भ्रष्टाचार विरोधी---- 1031
हाईवे हेल्पलाइन -- 1033
रेल दुर्घटना ------- 1072
सड़क दुर्घटना ----- 1073
CM हेल्पलाइन ----- 1076
वीमेन पावर लाइन -- 1090
महिला हेल्पलाइन --1091
पृथ्वी भूकंप ------ 1092
AIDS हेल्पलाइन --- 1097
चिल्ड्रेन हेल्पलाइन - 1098
किसान काल सेन्टर-1551
नागरिक काल सेन्टर 155300
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कृपया सभी ग्रुप में भेजें।
धन्यवाद
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